BA Semester-5 Paper-2B History - Socio and Economic History of Medieval India (1200 A.D-1700 A.D) - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.) - सरल प्रश्नोत्तर समूह
लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.)

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.)

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2788
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.) - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 2

अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नियन्त्रण
नीति एवं राजस्व प्रणाली

(Market Control Policy and
Revenue System of Allaudin Khilji)

प्रश्न- अलाउद्दीन की प्रारम्भिक कठिनाइयाँ क्या थीं? अलाउद्दीन के प्रारम्भिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए यह स्पष्ट कीजिए कि उसने इन कठिनाइयों से किस प्रकार निजात पाई?

उत्तर -

अलाउद्दीन खिलजी का प्रारम्भिक जीवन

1296 ई. में अलाउद्दीन ने अपने चाचा व श्वसुर की हत्या कर दी और उसके पुत्र को दिल्ली से भगाने में सफल रहा। इसके बाद वह सुल्तान बन बैठा। सल्तनत काल और तुर्की इतिहास के दृष्टिकोण से यह एक सामान्य घटना थी क्योंकि इस कालखण्ड में 'तख्त या ताबूत' का प्रचलन था, इसमें जनता खासकर भारतीय जनता ने कतई हस्तक्षेप नहीं किया। ऐसा ही इस बार भी हुआ था।

अलाउद्दीन अपने पूर्ववर्त्ती सुल्तान जलालुद्दीन खिलजी के भाई शिहाबुद्दीन मसूद खिलजी के चार पुत्रों अली गुरशप (अलाउद्दीन), अलमास बेग, कुतुलुग तिगिन तथा मुहम्मद में से एक था। अलाउद्दीन और अलमास बेग ने राजनैतिक क्षेत्र में काफी कार्य किए, किन्तु शेष दो के बारे में कुछ खास नहीं ज्ञात होता है। अलाउद्दीन की जन्मतिथि आदि प्रारम्भिक घटनाओं के बारे में कुछ नहीं ज्ञात होता है। अलाउद्दीन का शैक्षणिक स्तर भी कम था, किन्तु वह सैन्य मामलों में प्रवीण था। वह एक उत्कृष्ट कोटि का योद्धा था। बलबन के वंश के अंत और खिलजी सत्तोत्कर्ष का वह एक महत्वपूर्ण अंग था। वह उस समय असीम संभावनाओं से परिपूर्ण साहसी युवक था। जलालुद्दीन खिलजी उसकी प्रतिभा से वाकिफ था। उसने अलाउद्दीन को 'अमीर-ए-तुजुक और उसके छोटे भाई अलमास बेग को 'अखूर बेग के पद प्रदान किए। जलालुद्दीन इन दोनों पर अधिक विश्वास व्यक्त करते हुए अपनी दो पुत्रियों का विवाह भी उनसे कर दिया। अलाउद्दीन अब सुल्तान जलालुद्दीन की खास ब्रिगेड का सदस्य बन चुका था। कड़ा-मानिकपुर के इक्तेदार मलिक छज्जू के विद्रोह को दबाने के लिए सुल्तान जलालुद्दीन ने अलाउद्दीन खिलजी को ही भेजा। अलाउद्दीन इस सैन्य अभियान में सफल रहा, जिसके परिणामस्वरूप सुल्तान ने इस इक्ता की जिम्मेदारी अलाउद्दीन को ही सौंपी।

यह इक्तेदारी अलाउद्दीन के लिए महत्वपूर्ण घटना थी। इसके दो कारण थे। प्रथम, तो यह कि यहाँ उसे सुल्तान बन सकने की इच्छा को बल देने का अवसर प्राप्त हुए। मलिक छज्जू के समर्थक अलाउद्दीन के साथी हो गए। साथ ही सुल्तान जलालुद्दीन की सहिष्णु नीति के विरोधी तत्व, जिनमें खिलजी अधिकारियों का बहुतायत था, ने अलाउद्दीन को विद्रोह कर सत्ता हथियाने को प्रेरित किया। इस प्रेरणा के लिए अलाउद्दीन सक्षम भी था। दूसरा कारण यह था कि अलाउद्दीन का पारिवारिक जीवन संकटापन्न था क्योंकि उसकी पत्नी सुल्तान की पुत्री थी, जो अति दम्भी महिला थी। उसकी सास अर्थात् सुल्तान, जलालुद्दीन की पत्नी अत्यन्त ईर्ष्यालु और संदेही महिला थीं, जो अलाउद्दीन को पसंद नहीं करती थी। वे दोनों अलाउद्दीन के प्रत्येक कार्य में रुकावटें पैदा करती रहती थीं। इन परिस्थितियों ने उसे पारिवारिक स्तर पर उदासीन बना दिया और वह राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति में तत्पर हो गया।

दूसरी तरफ जलालुद्दीन खिलजी एक वृद्ध शासक था, जिसकी लोकप्रियता में निरंतर गिरावट आती जा रही थी, जो उसके गलत फैसलों के कारण हो रहा था। सुल्तान जलालुद्दीन के समय हो रहे राजनीतिक षड्यन्त्रों को दमन करने में प्राप्त असफलता ने उसकी प्रतिष्ठा गिरा दी। उसने एक एक और बड़ी गलती तब की जब उसने मंगोल आक्रमणकारियों को क्षमा देकर इस्लाम का अनुयायी बनाया और अपनी पुत्री का विवाह मंगोल सरदार से कर दिया। ये नए मुसलमान कहलाए, जो बाद में सल्तनत काल के इतिहास में एक समस्या बने। इससे अलाउद्दीन के समर्थकों का मनोबल बढ़ता गया। सुल्तान की इस अकर्मण्यता को अलाउद्दीन ने अवसर की तरह उपयोग में लिया। वह निरंतर अपने सैन्य अभियानों में लगा रहा। 1292 ई. में उसने भिलसा को लूटा जिसके एवज में उसे अवध की सूबेदारी प्राप्त हुई। इस प्रकार उसे दो राज्यों की सूबेदारी प्राप्त हो गई।

'मालवा की विजय ने अलाउद्दीन की महत्वाकांक्षा में उसी तरह कार्य किया जैसे आग में घी। उसने अब तक दक्षिण की आर्थिक समृद्धि की कहानियाँ सुन रखी थीं। दक्षिण भारत के तत्कालीन दो समृद्धशाली राज्य थे- पश्चिम में देवगिरि व पूरब में तेलंगाना। उसने सुल्तान जलालुद्दीन से दक्षिणा पर आक्रमण की योजना को छिपाया और उससे सेना के विस्तार की अनुमति प्राप्त कर ली। उसने सेना को मजबूत करने के बाद देवगिरि पर आक्रमण करने की योजना बनाई। उसने अपने नायब अला-उल-मुल्क को कड़ा में नियुक्त किया और 1924 ई. में आठ हजार घुड़सवारों की सेना के साथ देवगिरि का अभियान शुरू किया। उसन मार्ग में स्वयं को शरणार्थी होने का नाटक किया और देवगिरि की उत्तरी सीमा तक बिना किसी रोक के पहुँच गया। यह दक्षिण भारत पर प्रथम तुर्की आक्रमण था। देवगिरि में उस समय यादव वंश राजा रामचन्द्र देव शासन करता था। देवगिरि से 12 मील की दूरी पर लसूडा नामक स्थान पर दोनों सेनाओं में युद्ध हुआ, जिसमें अलाउद्दीन की सेना जीत गई। किन्तु शीघ्र ही रामचन्द्र देव का पुत्र शंकर देव तीर्थयात्रा से वापस आ गया और पुनः युद्ध छिड़ गया। इस बार पुनः यादवों की सेना की पराजय हो गई। अलाउद्दीन ने पहले की संधि से अधिक कठोर शर्ते लागू कीं। देवगिरि का एलिचपुर प्रान्त सल्तनत में मिला लिया गया। अलाउद्दीन ने 1400 पौण्ड सोना पहले लिया था और अब इस बार 1750 पौण्ड सोना, 200 पौण्ड मोती, 58 पौण्ड अन्य रत्न, 28250 पौण्ड चाँदी तथा 1000 रेशम के थान वसूल किए। यह अलाउद्दीन के कुशल नेतृत्व और सैन्य क्षमता का सर्वश्रेष्ठ प्रमाण था, कि कड़ा-मानिकपुर से इतनी दूर एक पूरी तरह अपरिचित स्थान पर उसने सफलतापूर्वक सैन्य अभियान चलाने में वह सफल रहा।

जब अलाउद्दीन दक्षिण में देवगिरि का अभियान किए थे तभी उसके विरोधियों ने सुल्तान जलालुद्दीन खिलजी को अलाउद्दीन की महत्वाकांक्षाओं के प्रति सतर्क रहने की राय दी। अलाउद्दीन ने इस सैन्य अभियान के लिए सुल्तान से आज्ञा भी न ली थी। अतः सुल्तान भी सशंकित था। ऐसी परिस्थिति में अलाउद्दीन के भाई, अलमासबेग ने जो 'उलूग खाँ' भी था, ने सुल्तान को समझाया कि अलाउद्दीन ऐसा नहीं है और वह निश्चिततः देवगिरि से प्राप्त धन आपको दे देगा, किन्तु दिल्ली आने और आपके सम्मुख आने से वह भयभीत है, अतः आप उसे क्षमा करें और उससे मिलने कड़ा चलें। सुल्तान ने अपने दरबारियों की सलाह की पूरी उपेक्षा की और वह कुछ निःशस्त्र सैनिकों के साथ अलाउद्दीन से मिलने गया। अलाउद्दीन के खास सैनिकों ने सुल्तान जलालुद्दीन की हत्या कर दी। डॉ. आशीर्वादी लाल श्रीवास्तव के अनुसार, "19 जुलाई, 1296 ई. को अलाउद्दीन ने राजछत्र धारण करके अपने को सुल्तान घोषित किया। जलालुद्दीन के सिर को भाले में छेदकर अलाउद्दीन के अधीनस्थ कड़ा-मानिकपुर तथा अवध के सूबों में घुमाया गया।"

अलाउद्दीन खिलजी की प्रारम्भिक कठिनाइयाँ - जिस प्रकार रोम का निर्माण एक दिन में नहीं हुआ, उसी प्रकार अलाउद्दीन के सुल्तान बनने भर से कुछ नहीं होना था बल्कि उसे अपनी क्षमता को सिद्ध करना शेष था। उसके चारों तरफ कठिनाइयाँ की बहुतायत थी, जिनमें से प्रमुख निम्न हैं-

1. अलाउद्दीन खिलजी सत्ता का अपहरणकर्त्ता था। ऐसा ही कार्य जलालुद्दीन ने भी किया था, किन्तु बलबन के उत्तराधिकारियों की अयोग्यता और बलबन के प्रति व्यक्त किए गए उसके सम्मान के कारण उसके विरोध में कोई खास प्रतिक्रिया नहीं हो सकी। जलालुद्दीन ने बलबन के परिवार की सभी महिलाओं का यथोचित सम्मान किया था।

2. उसकी इक्ताएं दिल्ली से काफी दूर थीं, जोकि सल्तनत काल की सत्ता का केन्द्र थीं। दिल्ली तक मार्ग की सभी इक्ताओं में विरोधी इक्तेदारों का शासन था। ऐसे में मार्ग सुगम न था और अलाउद्दीन अभी केवल नाममात्र का सुल्तान था।

3. जलालुद्दीन की विधवा मलिकेजहाँ ने द्वितीय पुत्र कद्र खाँ को रुकुनुद्दीन इब्राहीम के नाम से दिल्ली की गद्दी पर बैठाया। इब्राहीम को जलालुद्दीन खिलजी के समर्थक 'जलाली' सरदारों का समर्थन था। इब्राहीम की योग्यता या अयोग्यता के प्रश्न पर अलाउद्दीन का भविष्य टिका था।

4. दिल्ली सल्तनत को स्थापित हुए लगभग 90 वर्ष हो चुके थे, किन्तु यह समय तब तक के इतिहास का सबसे कमजोर समय था। ऐसे में पूर्व में परास्त की गई हिन्दू शक्तियाँ पुनः स्वतंत्र होने का प्रयास करने लगीं। यह समय ऐसा था जबकि सम्पूर्ण तुर्की साम्राज्य के अस्तित्व का ही प्रश्न उठ खड़ा हुआ।

5. उपरोक्त आंतरिक संकटों के बावजूद बाह्य संकट भी कम न था। उत्तर -पश्चिमी सीमान्त पर मंगोलों के आक्रमण तीव्रतर होते जा रहे थे। इस परिस्थिति में अलाउद्दीन के सैन्य कौशल की भी परीक्षा होनी थी।

अलाउद्दीन ने इन कठिनाइयों से मुक्ति पाने के लिए प्रत्येक प्रकार के कौशल का सहारा लिया। उसने दिल्ली तक देवगिरि से लूटे गए धन को खूब लुटाया। वह जानता था कि जनता की याददाश्त कमजोर होती है। उसने इब्राहीम को युद्ध में परास्त कर दिया। इस प्रकार उसने दिल्ली पर कब्जा कर प्रारम्भिक सफलता हासिल की। बाद में उसने अपने पृथक राजत्व के सिद्धान्त पर जोर दिया, जिससे आंतरिक विद्रोहों से वह मुक्त हो सका। उसका कठोर शासन ही इन विद्रोहों का मूल कारण था। मंगोलों से भी उसने कठोर युद्ध लड़े। सेना का स्थायीकरण कर उसने प्रखर सैन्य सुधार किए। इस प्रकार उसकी कठिनाइयाँ समाप्त हो सकीं।

...पीछे | आगे....

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सल्तनतकालीन सामाजिक-आर्थिक दशा का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- सल्तनतकालीन केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में प्रांतीय शासन प्रणाली का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- सल्तनतकालीन राजस्व व्यवस्था पर एक लेख लिखिए।
  5. प्रश्न- सल्तनत के सैन्य-संगठन पर प्रकाश डालिए।
  6. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत काल में उलेमा वर्ग की समीक्षा कीजिए।
  7. प्रश्न- सल्तनतकाल में सुल्तान व खलीफा वर्ग के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
  8. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  9. प्रश्न- मुस्लिम राजवंशों के द्रुतगति से परिवर्तन के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  10. प्रश्न- सल्तनतकालीन राजतंत्र की विचारधारा स्पष्ट कीजिए।
  11. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के स्वरूप की समीक्षा कीजिए।
  12. प्रश्न- सल्तनत काल में 'दीवाने विजारत' की स्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
  13. प्रश्न- सल्तनत कालीन राजदरबार एवं महल के प्रबन्ध पर एक लघु लेख लिखिए।
  14. प्रश्न- 'अमीरे हाजिब' कौन था? इसकी पदस्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
  15. प्रश्न- जजिया और जकात नामक कर क्या थे?
  16. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में राज्य की आय के प्रमुख स्रोत क्या थे?
  17. प्रश्न- दिल्ली सल्तनतकालीन भू-राजस्व व्यवस्था पर एक लेख लिखिए।
  18. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में सुल्तान की पदस्थिति स्पष्ट कीजिए।
  19. प्रश्न- दिल्ली सल्तनतकालीन न्याय-व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  20. प्रश्न- 'उलेमा वर्ग' पर एक टिपणी लिखिए।
  21. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों में सल्तनत का विशाल साम्राज्य तथा मुहम्मद तुगलक और फिरोज तुगलक की दुर्बल नीतियाँ प्रमुख थीं। स्पष्ट कीजिए।
  22. प्रश्न- विदेशी आक्रमण और केन्द्रीय शक्ति की दुर्बलता दिल्ली सल्तनत के पतन का कारण बनी। व्याख्या कीजिए।
  23. प्रश्न- अलाउद्दीन की प्रारम्भिक कठिनाइयाँ क्या थीं? अलाउद्दीन के प्रारम्भिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए यह स्पष्ट कीजिए कि उसने इन कठिनाइयों से किस प्रकार निजात पाई?
  24. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधार व बाजार नियंत्रण नीति का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण विजय का विवरण दीजिए। उसकी दक्षिणी विजय की सफलता के क्या कारण थे?
  26. प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण नीति के क्या उद्देश्य थे, क्या वह उनकी पूर्ति में सफल रहा?
  27. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की विजयों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- 'खिलजी क्रांति' से क्या समझते हैं? संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण नीति के क्या उद्देश्य थे, क्या वह उनकी पूर्ति में सफल रहा?
  30. प्रश्न- खिलजी शासकों के काल में स्थापन्न कला के विकास पर टिपणी लिखिए।
  31. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का एक वीर सैनिक व कुशल सेनानायक के रूप में मूल्याँकन कीजिए।
  32. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की मंगोल नीति की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिए।
  33. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की राजनीति क्या थी?
  34. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का शासक के रूप में मूल्यांकन कीजिए।
  35. प्रश्न- अलाउद्दीन की हिन्दुओं के प्रति नीति स्पष्ट करते हुए तत्कालीन हिन्दू समाज की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की राजस्व सुधार नीति के विषय में बताइए।
  37. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का प्रारम्भिक विजय का वर्णन कीजिये।
  38. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की महत्त्वाकांक्षाओं को बताइये।
  39. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधारों का लाभ-हानि के आधार पर विवेचन कीजिये।
  40. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की हिन्दुओं के प्रति नीति का वर्णन कीजिये।
  41. प्रश्न- सूफी विचारधारा क्या है? इसकी प्रमुख शाखाओं का वर्णन कीजिए तथा इसके भारत में विकास का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों, विशेषताओं और मध्यकालीन भारतीय समाज पर प्रभाव का मूल्याँकन कीजिए।
  43. प्रश्न- मध्यकालीन भारत के सन्दर्भ में भक्ति आन्दोलन को बतलाइये।
  44. प्रश्न- समाज की प्रत्येक बुराई का जीवन्त विरोध कबीर के काव्य में प्राप्त होता है। विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- मानस में तुलसी द्वारा चित्रित मानव मूल्यों का परीक्षण कीजिए।
  46. प्रश्न- “मध्यकालीन युग में जन्मी, मीरा ने काव्य और भक्ति दोनों को नये आयाम दिये" कथन की समीक्षा कीजिये।
  47. प्रश्न- सूफी धर्म का समाज पर क्या प्रभाव पड़ा।
  48. प्रश्न- राष्ट्रीय संगठन की भावना को जागृत करने में सूफी संतों का महत्त्वपूर्ण योगदान है? विश्लेषण कीजिए।
  49. प्रश्न- सूफी मत की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के प्रभाव व परिणामों की विवेचना कीजिए।
  51. प्रश्न- भक्ति साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  52. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन पर एक निबन्ध लिखिए।
  53. प्रश्न- भक्ति एवं सूफी सन्तों ने किस प्रकार सामाजिक एकता में योगदान दिया?
  54. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के कारण बताइए
  55. प्रश्न- सल्तनत काल में स्त्रियों की क्या दशा थी? इस काल की एकमात्र शासिका रजिया सुल्ताना के विषय में बताइये।
  56. प्रश्न- "डोमिगो पेस" द्वारा चित्रित मध्यकाल भारत के विषय में बताइये।
  57. प्रश्न- "मध्ययुग एक तरफ महिलाओं के अधिकारों का पूर्णतया हनन का युग था, वहीं दूसरी ओर कई महिलाओं ने इसी युग में अपनी विशिष्ट उपस्थिति दर्ज करायी" कथन की विवेचना कीजिये।
  58. प्रश्न- मुस्लिम काल की शिक्षा व्यवस्था का अवलोकन कीजिये।
  59. प्रश्न- नूरजहाँ के जीवन चरित्र का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। उसकी जहाँगीर की गृह व विदेशी नीति के प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
  60. प्रश्न- सल्तनत काल में स्त्रियों की दशा कैसी थी?
  61. प्रश्न- 1200-1750 के मध्य महिलाओं की स्थिति को बताइये।
  62. प्रश्न- "देवदासी प्रथा" क्या है? व इसका स्वरूप क्या था?
  63. प्रश्न- रजिया के उत्थान और पतन पर एक टिपणी लिखिए।
  64. प्रश्न- मीराबाई पर एक टिप्पणी लिखिए।
  65. प्रश्न- रजिया सुल्तान की कठिनाइयों को बताइये?
  66. प्रश्न- रजिया सुल्तान का शासक के रूप में मूल्यांकन कीजिए।
  67. प्रश्न- अक्का महादेवी का वस्त्रों को त्याग देने से क्या आशय था?
  68. प्रश्न- रजिया सुल्तान की प्रशासनिक नीतियों का वर्णन कीजिये?
  69. प्रश्न- मुगलकालीन आइन-ए-दहशाला प्रणाली को विस्तार से समझाइए।
  70. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व का निर्धारण किस प्रकार किया जाता था? विस्तार से समीक्षा कीजिए।
  71. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व वसूली की दर का किस अनुपात में वसूली जाती थी? ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर क्षेत्रवार मूल्यांकन कीजिए।
  72. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व प्रशासन का कालक्रम विस्तार से समझाइए।
  73. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व के अतिरिक्त लागू अन्य करों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान मराठा शासन में राजस्व व्यवस्था की समीक्षा कीजिए।
  75. प्रश्न- शेरशाह की भू-राजस्व प्रणाली का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
  76. प्रश्न- मुगल शासन में कृषि संसाधन का वर्णन करते हुए करारोपण के तरीके को समझाइए।
  77. प्रश्न- मुगल शासन के दौरान खुदकाश्त और पाहीकाश्त किसानों के बीच भेद कीजिए।
  78. प्रश्न- मुगलकाल में भूमि अनुदान प्रणाली को समझाइए।
  79. प्रश्न- मुगलकाल में जमींदार के अधिकार और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- मुगलकाल में फसलों के प्रकार और आयात-निर्यात पर एक टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- अकबर के भूमि सुधार के क्या प्रभाव हुए? संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  82. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व में राहत और रियायतें विषय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  83. प्रश्न- मुगलों के अधीन हुए भारत में विदेशी व्यापार के विस्तार पर एक निबंध लिखिए।
  84. प्रश्न- मुग़ल काल में आंतरिक व्यापार की स्थिति का विस्तृत विश्लेषण कीजिए।
  85. प्रश्न- मुगलकालीन व्यापारिक मार्गों और यातायात के लिए अपनाए जाने वाले साधनों का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- मुगलकाल में व्यापारी और महाजन की स्थितियों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- 18वीं शताब्दी में मुगल शासकों का यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों के मध्य सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
  88. प्रश्न- मुगलकालीन तटवर्ती और विदेशी व्यापार का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  89. प्रश्न- मुगलकाल में मध्य वर्ग की स्थिति का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
  90. प्रश्न- मुगलकालीन व्यापार के प्रति प्रशासन के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
  91. प्रश्न- मुगलकालीन व्यापार में दलालों की स्थिति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  92. प्रश्न- मुगलकालीन भारत की मुद्रा व्यवस्था पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  93. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान बैंकिंग प्रणाली के विकास और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  94. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान प्रयोग में लाई जाने वाली हुण्डी व्यवस्था को समझाइए।
  95. प्रश्न- मुगलकालीन मुद्रा प्रणाली पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  96. प्रश्न- मुगलकाल में बैंकिंग और बीमा पर प्रकाश डालिये।
  97. प्रश्न- मुगलकाल में सूदखोरी और ब्याज की दर का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
  98. प्रश्न- मुगलकालीन औद्योगिक विकास में कारखानों की भूमिका का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  99. प्रश्न- औरंगजेब के समय में उद्योगों के विकास की रूपरेखा का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- मुगलकाल में उद्योगों के विकास के लिए नियुक्त किए गए अधिकारियों के पद और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान कारीगरों की आर्थिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- 18वीं सदी के पूर्वार्ध में भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रवृत्ति की व्याख्या कीजिए।
  103. प्रश्न- मुगलकालीन कारखानों का जनसामान्य के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
  104. प्रश्न- यूरोपियन इतिहासकारों के नजरिए से मुगलकालीन कारीगरों की स्थिति प

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book